हेमिस नेशनल पार्क ( Hemis National Park)

 भारत में कुछ ऐसे नेशनल पार्क हैं। जहां पर आम नागरिक जाने का सोच भी नहीं पाता क्योंकि वहां की परिस्थितियां ही ऐसी है। कठिन जीवन, मुश्किल ट्रैकिंग, सुविधाओं की कमी, ये सब प्राकृतिक वातावरण के कारण है। जो केवल अपने बच्चों और मित्रों के साथ मात्र पिकनिक मनाना चाहते हैं उनके लिए यह स्थल दुर्गम है,ठीक नहीं है। यह स्थान उनके लिए है जो वास्तव में एडवेंचर को पसंद करते हैं रिस्क लेने की हिम्मत रखते हैं और जो जीवन को वास्तविक रूप में देखने के लिए तत्पर हैं। परंतु जो एक बार इस तरह के यात्रा पर निकल जाते हैं और वहाँ के प्राकृतिक जीवन के अनुभव लेकर वापस आते हैं, तो रियल में ऐसा फील होता है कि जैसे नया जन्म हुआ हो। अगर आप वास्तव में ऐसा अनुभव चाहते हैं तो आपके लिए ही है हेमिस नेशनल पार्क ( Hemis National Park)।



अगर आप सच में हिम्मती हैं, रोमांच पसन्द करते हैं, और साथ में शारीरिक रूप से स्वस्थ भी हैं तो आप जरूर एक बार हेमिस नेशनल पार्क ( Hemis National Park) घूम कर आइये। हेमिस नेशनल पार्क  नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के बाद दूसरा सबसे बड़े संरक्षित क्षेत्र है। यहाँ आकर आपका जीवन के प्रति नजरिया ही बदल जायेगा ये अनुभव आपको और भी परिपक्व बना देगा। जिंदगी के आप नये पहलू को महसूस करेंगे।


पर है कहाँ ये हेमिस नेशनल पार्क ( Hemis National Park) ?

 


भारत के लद्दाख क्षेत्र में जो कि अब एक केन्द्र शासित प्रदेश है इसके पूर्वी भाग में हेमिस नेशनल पार्क ( Hemis National Park ) स्थित है इसकी स्थापना 1981 में हुुुई थी। यह एकमात्र  राष्ट्रीय उद्यान है जो भारत में सबसे ऊँचाई पर  स्थित है इसलिए इसे हेमिस हाई एल्टीट्यूड नेशनल पार्क भी कहा जाता है।  इससे कुछ ही दूरी पर लेह बसा हुआ है। हेमिस नेशनल पार्क दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा पार्क है। इसका क्षेत्रफल 4400 वर्ग किलोमीटर है और यह पार्क सिंधु नदी के किनारे पर अपने उत्तरी हिस्से में फैला हुआ है, जिसमें ज़ांस्कर रेंज के कुछ हिस्से और सुमदाह, मरखा और रूंबक के कैचमेंट शामिल हैं।


हेमिस नेशनल पार्क ( Hemis National Park) का भूगोल


 काराकोरम-पश्चिम तिब्बती पठार स्टेप ईको-क्षेत्र के भीतर स्थित है। इस पार्क में अल्पाइन टुंड्रा, देवदार के जंगल और अल्पाइन घास के मैदान और झाड़ी हैं।  इसका इलाके को बीहड़ घाटियों के लिये जाना जाता है जो की इसकी विशेषता है, ये घाटी विशाल बोल्डर और चट्टानों से युक्त है। पार्क की ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 3500 मीटर से 6390 मीटर तक  है।  इसकी कुछ चोटियाँ समुद्र तल से लगभग 5000 से 6000 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ती हैं। इसके दक्षिणी सिरे की ओर शांग कैचमेंट स्थित है, जिसके मध्य से सिंधु नदी की एक छोटी सहायक नदी बहती है जिसे मार्शेलुंग टैकपो कहा जाता है।


चूंकि पार्क में उच्च वर्षा नहीं होती है;  इसलिए, इसकी निचली ऊँचाई में सबालपीन के सूखे जंगल, सन्टी और सालिक्स शामिल हैं।  ऊपरी पहाड़ों की ढलानों में अल्पाइन वनस्पति बहुतायत में है, जबकि अन्य भागों में स्टेपी वनस्पति का फैलाव है, और यहाँ एफेड्रा, कारागाना, स्टैचिस और आर्टेमिसिया का भी प्रभुत्व है, जो कि निचले नदी के हिस्सों में अधिक पाए जाते हैं।


देखने को क्या मिलेगा ?


दुनिया भर से जो पर्यटक यहाँ आते हैं उनकी पहली चाहत होती है कि उन्हें हिम तेंदुआ के दर्शन हो जायें अगर उनकी किस्मत अच्छी हो तो उन्हें जल्द ही दर्शन हो जाते हैं। ये तेंदुए विभिन्न प्रकार की भेड़ों का शिकार करते हैं, जिनमें भारल, अर्गाली और शापू शामिल हैं। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हिम तेंदुए यहीँ पाये जाते हैं। हेमिस की शांग घाटी में हिम तेंदुए बहुतायत और सरलता से देखने को मिल जाते हैं। इसके अलावा हेमिस भारत का इकलौता स्थान है जहाँ आपको शापू देखने को मिलते हैं शापू एक लद्दाखी उरील को कहते हैं।



हेमिस नेशनल पार्क को ठंडा रेगिस्तान भी कहते हैं। यहाँ की दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिये इसे बनाया गया। इस पार्क को पांच गाँवों जैसे शिंगो, चिलिंगा, युटुत्से, रूम्बक और स्कु-काया से अलग किया गया है, और इसमें विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जानवरों का घर है, जिनमें तेंदुए, तिब्बती भेड़िया, यूरेशियन ब्राउन भालू और लाल लोमड़ी शामिल हैं साथ ही हेमिस पार्क में भेड़िया, यूरेशियन भूरा भालू, अर्गाली, हिमालयन मर्मोट, हिमालयन माउस हरे, चुकार दलिया और हिमालयन हिम मुर्गा हैं।

हेमिस नेशनल पार्क लद्दाख की रुम्बक और मरखा घाटी में फैला हुआ है। यह पूरा क्षेत्र पथरीला है और बीच बीच में पतली मिट्टी की परत है। हेमिस नेशनल पार्क की ऊँचाई 3000 मीटर से अधिक है।


विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ


क्षेत्र में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 15 लुप्तप्राय और दुर्लभ औषधीय पौधे हैं, और इनमें फेरुला जेश्केनिया, आर्टिमिसिया मैरिटमा, अर्नबिया यूक्रोमा और एफेर्रा गेरार्डियाना शामिल हैं।

जब गर्मी में बर्फ पिघलने लगती है तब यहाँ सूखी अल्पाइन घास का विकास तेजी से होता है। पार्क में जूनीपर्स, पोपलर, मायरिकारिया, सैलिक्स, एस्ट्रैगलस, बिर्च, टार्क्सैकम, एफेड्रा, लेओर्टोपोडियम के पौधे यहाँ की सुंदरता को ओर भी बढ़ा देते हैं। 


हेमिस नेशनल पार्क( Hemis National Park) पक्षी अभ्यारण-

उत्तर भारत में पक्षी देखने वालों के लिए यह एक स्वर्ग है। बर्डवॉचिंग के दीवानों के लिए हेमिस नेशनल पार्क शानदार अवसर प्रदान करने वाला जाना जाता है।  इस पार्क के अधिकारियों के अनुसार, क्षेत्र में लगभग 73 किस्म के पक्षीयों की और 16 प्रकार की स्तनपायी प्रजातियां पायी जाती  हैं। हिमालयी ग्रिफ़ॉन गिद्ध, गोल्डन ईगल और लैमर्जियर गिद्ध, हिमालयन स्नो कॉक, रॉबिन एक्सेन्टोर, ग्रेट ग्रे श्रीके, ब्राउन एक्सेन्टोर, टिकेल का लीफ वार्बलर, रेड मेंटल रोज़ फ़िंच, ब्लैक थ्रोटेड थ्रश, चोकर, स्नो फ़िंच, स्पॉटेड फ्लाईकैचर, रेड फ्लेन्क्ड ब्लू टेल, रेड-  बिल्ड चॉफ, फोर्क-टेल्ड स्विफ्ट, ग्रेट नोज फिंच और फायर-फ्रंटेड सेरिन  लगभग इन सभी पक्षियों को हेमिस नेशनल पार्क में सहजता से देखा जा सकता है।


हेमिस नेशनल पार्क का नाम हेमिस गोम्पा के नाम पर है जो कि यहाँ का सबसे बड़ा मठ है। पहले यहीं से होते हुए यात्री तिब्बत जाया करते थे। इस मठ में तिब्बती धार्मिक कपड़ा चित्र है जिसे थनका भी कहते हैं। ये 12 मीटर लम्बी एक पेंटिंग है। यहां पर कई अन्य पवित्र मंदिर भी हैं साथ ही तिब्बती गम्पों का घर भी है। यहाँ 1600 से अधिक लोगों का घर भी है, जो नौ गांवों में रहते हैं जो मरखा और रूंबक की घाटियों में स्थित हैं।  ये गाँव समुद्र तल से 4000 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर स्थित हैं।  गाँवों में ज्यादातर लोग बौद्ध हैं।



इस क्षेत्र का सबसे बड़ा उत्सव जून / जुलाई के आसपास आयोजित किया जाता है, जो जाहिरा तौर पर तिब्बती कैलेंडर का पांचवा महीना होता है।  यह हेमिस महोत्सव है, जो गुरु पद्मसंभव को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया जाता है।  यह त्योहार लगभग तीन दिनों तक चलता है और घाटी के कई लोगों को आकर्षित करता है।


किस मौसम में आयें हेमिस नेशनल पार्क


इस क्षेत्र में मौसम कभी भी बदल जाता है। यहाँ वार्षिक औसत वर्षा लगभग 160.5 मिमी है।  सर्दियों के दौरान, तापमान हिमांक बिंदु के करीब रहता है, जो -20 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। ग्रीष्मकाल में, तापमान अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस तक जाता है।  इस राष्ट्रीय उद्यान में आने के लिए ग्रीष्मकाल आदर्श समय है।  जबकि सितंबर से जून पार्क में जानवरों को देखने के लिए उपयुक्त है, अप्रैल से जून और सितंबर से दिसंबर यहां बर्डवॉचिंग के लिए सबसे अच्छा समय है।

पर यदि आप एक परेशानी मुक्त और सुखद यात्रा का आनंद लेना चाहते हैं, तो मई के महीने और अक्टूबर की शुरुआत के बीच एक की योजना बनाएं। भारी बर्फबारी के कारण जीप सफ़ारी और अधिकांश ट्रेकिंग मार्ग नवंबर के बाद से बंद हो जाते हैं। यदि आप जून और जुलाई के बीच हेमिस का दौरा कर रहे हैं, तो हेमिस फेस्टिवल का आनन्द उठा सकते हैं।


ठहरने का स्थान


इस शानदार राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा करने की योजना बनाने वाले यात्री हेमिस गोम्पा या गांवों में मेहमानों के रूप में रहने के लिए चुन सकते हैं।  बैक-कंट्री कैंपिंग आवास के लिए भी एक और विकल्प है और इसके लिये लेह के रिसॉर्ट्स या होटलों में ठहरा जा सकता है। हालांकि यहाँ का लोकल भोजन स्वदिष्ट होता है पर इस क्षेत्र में भोजन की पसंद सीमित है, और इसलिये पैक्ड भोजन अपने साथ ले जाने की सलाह दी जाती है।


हेमिस नेशनल पार्क एक उच्च विनियमित क्षेत्र है, और प्रत्येक सीजन में बहुत कम परमिट दिए जाते हैं। यहां आने वाले यात्री हेमिस मठ में रुक सकते हैं जो कि एक बेहतर विकल्प है पर इसकी परमीशन मठ में रहने वाले बोध भिक्षुओं से लेनी पड़ती है जो की आसानी से मिल जाती है। 


हेमिस मठ अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। लेह से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर, सिंधु नदी की तलहटी में लंबा, उत्तरी भारत का सबसे बड़ा मठ है - हेमिस मठ।  विश्वास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक प्रतीक (जो 1672 ईस्वी पूर्व का है), यह 1000 से अधिक भिक्षुओं का घर है।  मठ के अंदर, आप कलाकृतियों, सोने और चांदी के बने स्तूपों, बुद्ध की मूर्तियों के विशाल संग्रह को देख सकते हैं जो कि  इसकी आंतरिक समृद्धि को दर्शाते हैं।  स्मृति चिन्ह, स्थानीय आभूषण, पेंटिंग, मूर्तियों और क्यूरियोस लेने के लिए हेमिस संग्रहालय की दुकान द्वारा खरीदारी भी कर सकते हैं।


होमस्टे


आप यहाँ के छह गावँ में से किसी में होमस्टे कर सकते हैं। यहाँ आस-पास होटल नहीँ हैं। होमस्टे आपको स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करने का मौका देते हैं, जो आपको उनके भोजन और आतिथ्य के बारे में जानकारी देता है।

आसपास के अन्य गांवों में भी होमस्टे हैं- युरटस, शिंगो, स्कू, काया और चिलिंग। लेकिन ये उत्तरोत्तर रुंबक से दूर हैं और प्रत्येक में एक या दो गृहस्थी हैं। यदि आप स्नो लेपर्ड के लिए आए हैं, तो रूंबक या कैंपसाइट में रुकना सबसे अच्छा है।


तम्बू में ठहरने का रोमांच



यदि आप कैंपिंग या तंबू में रहना पसंद करते हैं तो ज्यादातर तंबू हुसिंग नदी के किनारे लगाये जाते हैं जो लगभग जमी हुई होती है। ये एक आरामदायक और उच्च कोटि के तंबू होते हैं, जिसमे एक सामुदायिक भोजन तंबू और एक रसोई तंबू अलग से होता है। तंबू में ठहरने का अलग ही आनन्द और अनुभव होता है केवल तंबू में ठहरने का रोमांच महसूस करने के लिये आप हेमिस नेशनल पार्क में फिर से आना चाहेंगे।


हेमिस नेशनल पार्क में कम से कम 5 से 6 रातें जरूर बितानी चाहिये ताकि आपको वन्यजीवों के लिए इंतजार करने और देखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।


कैसे जायें हेमिस नेशनल पार्क


हवाई मार्ग द्वारा - इस हेमिस नेशनल पार्क का निकटतम हवाई अड्डा लेह कुशोक बकुला रम्पोछे हवाई अड्डा है।  यह हवाई अड्डा केवल 49 किमी दूर है।  लेह के लिए उड़ानें दिल्ली, श्रीनगर, जम्मू, चंडीगढ़  से  उपलब्ध हैं।


सड़क मार्ग द्वारा - यह राष्ट्रीय उद्यान मनाली-लेह राजमार्ग से मनाली-सरचू-धारचू मार्ग या लेह से श्रीनगर-कारगिल मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। लेह से पार्क के लिए नियमित टैक्सी और बस सेवाएं उपलब्ध हैं।


रेल द्वारा - इस पार्क का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है, जो लगभग 252 किमी दूर है।


पैदल -  एडवेंचर के शौकीन लोग हेमिस नेशनल पार्क की ट्रेकिंग अभियान का विकल्प चुन सकते हैं। इस प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान को देखने का आदर्श तरीका पार्क के माध्यम से ट्रेकिंग करना है। स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का आनंद लेने का ये सबसे अच्छा तरीका है। यह निशान स्पितुक गोम्पा से शुरू होता है और गेन्दा ला दर्रे के माध्यम से मार्चा घाटी में प्रवेश करने से पहले, जिंगचेन घाटी से होकर गुजरता है। ट्रेक तब कोंगमारु ला दर्रे से होते हुए हेमिस तक जाता है।

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