बनारस (काशी).......BANARAS




वाराणसी ..... भगवान शिव की नगरी। बनारस (काशी)  दुनिया का सबसे प्राचीन नगर है।भगवान शिव के वचन अनुसार बनारस में भगवान शिव सदा के लिए विराजमान हैं। प्राचीन समय के मनुष्यों द्वारा काशी का निर्माण ऐसी योजना के द्वारा किया गया कि जिससे वह पूरा क्षेत्र हमेशा ऊर्जावान रहे  और ऊर्जा हमेशा जमीन से ऊपर रहती है। इसलिये कहा गया की काशी जमीन पर नहीँ वह जमीन से ऊपर है। काशी भगवान शिव को इतना पसंद आया कि वह हमेशा के लिए वहीं बस गए। काशी को मोक्ष प्राप्त करने का स्थान भी कहा गया है। कहते हैं जिसकी मृत्यु काशी में होती है उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। तो प्राचीन समय से लोग अपनी मुक्ति की प्राप्ति के लिए काशी में बसने के इच्छुक रहे और जो काशी में नहीं बस पाए उनकी भी यह इच्छा रही कि उनकी मृत्यु बनारस में हो। वाराणसी नाम भी यहां बहने वाली दो नदियां वरुणा और अस्सी के नाम पर पड़ा।



 शास्त्री संगीत के बनारस घराने की पहचान पूरे देश में है। भारत के कई महान लोगों का सम्बन्ध बनारस से रहा है। जैसे कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां इत्यादि। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस यहीं लिखा था।

वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय।



बनारस में लगभग 84 घाट है परंतु मुख्य रूप से पांच घाटों का विशेष महत्व है। ये पापों से मुक्त करने वाले पंचतीर्थ कहे गए हैं।

 1. विश्व प्रसिद्ध अस्सी घाट  

 यह घाट शाम के वक्त होने वाली गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है इस घाट पर अस्सी नदी और गंगा नदी का संगम होता है। पौराणिक कथा के अनुसार मां दुर्गा ने इस कुंड पर विश्राम किया था और यहां पर उनकी तलवार गिरने के कारण अस्सी नदी प्रकट हुई जिस कारण इस घाट का नाम अस्सी घाट पड़ा।

 2.   दशाश्वमेध घाट     

धार्मिक मान्यता के अनुसार काशी नरेश देवदास में इस घाट पर दस अश्वमेघ यज्ञ किए थे इसलिए इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।

 3.   महा श्मशान मणिकर्णिका घाट 

धार्मिक कथा के अनुसार मां पार्वती के कर्ण फूल इस स्थान पर गिरे थे जिसे भगवान शिव ने ढूंढने का कार्य किया इस घटना के बाद इस स्थान का नाम मणिकर्णिका घाट पड़ा। मोक्ष प्राप्ति की उम्मीद में लोग अपना अंतिम संस्कार यहां करवाने के उम्मीद करते हैं।  

 4.  प्रथम विष्णु तीर्थ आदि केशव घाट 

इसकी कहानी भगवान विष्णु के काशी आने से जुड़ी हुई है कहते हैं भगवान विष्णु काशी में सबसे पहले इसी घाट पर आए थे और उन्होंने स्वयं अपनी प्रतिमा स्थापित की। इस घाट पर ही गंगा और वरुणा नदी का संगम माना जाता है।

  5.  पंचगंगा घाट

 पौराणिक मान्यता के अनुसार इस घाट पर गंगा, यमुना, सरस्वती, किरण और धूतपापा नामक पांच नदियों का संगम होता है।

इनके बाद आप और भी प्रसिद्ध घाटों की सैर कर सकते हैं जैसे हरिश्चंद्र घाट केदार घाट तुलसी घाट राजेंद्र घाट चेत सिंह घाट वाह राजघाट।

बनारस के प्रसिद्ध मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है वह बनारस का प्रमुख मंदिर है इस मंदिर के अतिरिक्त भी और भी कई दर्शनीय मंदिर हैं जैसे अन्नपूर्णा मंदिर, केदारेश्वर मंदिर, दुर्गाकुंड, लोलार्क कुंड, विशा लक्ष्मी मंदिर, साक्षी गणेश मंदिर, चंडी देवी मंदिर, पूर्वा मुखी शनि देव मंदिर, संकट मोचन मंदिर व सारनाथ मंदिर।

सारनाथ मंदिर



वाराणसी से 10 किमी की दूरी पर स्थित, सारनाथ एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद भगवान बुद्ध ने यहाँ अपना पहला धर्मोपदेश दिया था। 

इन मंदिरों के अतिरिक्त बनारस में और भी कई दर्शनीय स्थल हैं जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय स्टैचू आफ स्टैंडिंग बुद्धा।

बनारसी साड़ी



बनारस धार्मिक नगरी होने के साथ बनारसी साड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है यहां की बनी रेशमी बनारसी साड़ी की मांग पूरे देश में हमेशा बनी रहती है। विशेष मांगलिक अवसरों पर जैसे शादी विवाह, पूजा पाठ के समय महिलाएं इसे विशेष रूप से पहनती हैं। तो जब भी आप बनारस घूमने आयें  साड़ी अवश्य खरीदें।

खान पान

बनारस में मुँह में पानी लाने वाले व्यंजनों की भरमार है। यहाँ की ठंडाई और बनारसी पान पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं।



यहाँ के लोग खाने के साथ कुश्ती के भी शौकीन होते हैं।

तो आइये चलते हैं   बनारस






टिप्पणियाँ

  1. बनारस पूरे भारत में सबसे अधिक देखा जाने वाला तीर्थ स्थान है। सात पवित्र शहरों में से एक, बारह ज्योतिर लिंग स्थलों में से एक और शक्तिपीठ स्थल भी, यह हिंदुओं के मरने और अंतिम संस्कार के लिए सबसे पसंदीदा जगह है

    भारत के कई सबसे सम्मानित संतों के लिए एक पसंदीदा आश्रम स्थल - गुआतामा बुद्ध और महावीर, कबीर और तुलसी दास, शंकराचार्य, रामानुज और पतंजलि सभी ने यहाँ ध्यान दिया - बनारसरहा है और ग्रह पर सबसे अधिक देखे जाने वाले पवित्र स्थानों में से एक है

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुंदरवन.....Sundarvan

गया ( बिहार ).....पूर्वजों की मुक्ति...Gaya Dham ...Purvajon ki mukti

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान.....Jim Corbett National Park