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गोविंद देवजी का मंदिर, जयपुर, राजस्थान

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गोविंद देवजी का मंदिर, जयपुर, राजस्थान श्री गोविन्द देव जी मंदिर, जयपुर गोविंद देव जी का मंदिर सिटी पैलेस के चंद्र महल के पूर्व में बने जय निवास बगीचे में स्थित है। इस मंदिर में दर्शन के लिए सैकड़ों भक्त प्रतिदिन आते हैं। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है इसकी खासियत यह है कि यह बिना शिखर का मंदिर है इस मंदिर के स्थापना महाराज सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपने परिवार के देवता के रूप में किया पहले यह मूर्ति वृंदावन में स्थापित थी  जयपुर के आराध्य गोविन्द देवजी का विग्रह (प्रतिमा) भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरुप कहा जाता है। पौराणिक इतिहास और कथाओं की मानें तो यह कहा जाता है कि श्रीगोविन्द देवजी का विग्रह हूबहू भगवान श्रीकृष्ण के सुंदर और नयनाभिराम मुख मण्डल व नयनों से मिलता है। जयपुर राजपरिवार के लोग तो श्रीकृष्ण को राजा और खुद को उनका दीवान मानकर सेवा-पूजा करता रहा है। ठाकुरजी की झांकी अत्यधिक मनोहारी है। जयपुर घूमने आए हर पर्यटक भगवान श्रीगोविन्द देव जी के दर्शन करने जरुर आते हैं। श्री गोविन्द देव जी के दर्शन

जंतर मंतर, जयपुर, राजस्थान

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जंतर मंतर, जयपुर, राजस्थान जंतर मन्तर, जयपुर, राजस्थान जयपुर का जंतर मंतर वैश्विक धरोहर है जिसे 2019 में यूनेस्को ने विश्व धरोहरों में शामिल किया है। यह हमारे मध्ययुगीन भारतीय ज्ञान का जीवंत नमूना है इसके  राम यंत्र का तो कहना ही क्या इसका निर्माण ऊंचाई नापने के लिए किया जाता है। जंतर मंतर का निर्माण महाराज सवाई जयसिंह द्वारा कराया गया था। महाराज जयसिंह खुद भी एक खगोल शास्त्री थे। 18 वीं शताब्दी में महाराज जयसिंह ने पूरे भारतवर्ष में अलग-अलग स्थान पर 5 जंतर मंतर का निर्माण करवाया- जयपुर, बनारस, उज्जैन, मथुरा और भारत की राजधानी दिल्ली में। इन सब में जयपुर की यह वेधशाला सबसे बड़ी है इसका निर्माण समय जानने और अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए करवाया गया था। इस परिसर में 19 वास्तु  खगोलीय उपकरण लगे हुए हैं यह सभी अच्छी प्रकार से काम कर रहे हैं। शिक्षण और गणना के लिए अब भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। यहां की कुछ रचनाएं पत्थर तांबे और संगमरमर से बनी हुई हैं। दुनिया की सबसे बड़ी सूर्य घड़ी यहीं है जो की पत्थर की बनी हुई है इसे वृहत सम्राट यंत्र कहते हैं। यह घड़ी 2 सेकंड की सटीकता पर स्थ

सरगासूली, जयपुर, राजस्थान

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सरगासूली, जयपुर, राजस्थान ईसर लाट, सरगासूली, जयपुर सरगासूली ( ईसर लाट ) का निर्माण महाराज सवाई ईश्वरी सिंह ने 18 वीं सदी में करवाया था। यह जयपुर शहर की सबसे ऊंची मीनार है। लाट के ऊपर एक खुली छतरी बनी हुई है जहां से आप जयपुर शहर की खूबसूरती का नजारा कर सकते हैं। यह लाट त्रिपोलिया बाजार से नजर आती है लेकिन यह उसके पीछे आतिश मार्केट में बनी हुई है। जमीन से देखने पर यह लाट आकाश को छूती नजर आती है इसलिए इस लाट का नाम सरगासूली अर्थात स्वर्ग को छूने वाली पड़ा। कहते हैं जयपुर पर एक समय सात दुश्मनों ने मिलकर एक साथ आक्रमण किया था परंतु जयपुर की सेना ने बड़ी बहादुरी से उन्हें हराया इस जीत की खुशी में ही इसका निर्माण किया गया था। लार्ड जयपुर की आन बान और शान का प्रतीक है।

हवामहल, जयपुर, राजस्थान

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हवामहल, जयपुर, राजस्थान हवामहल, जयपुर, राजस्थान हवामहल बड़ी चौपड़ पर सिटी पैलेस के बगल में स्थित है। हवामहल जयपुर की पहचान माना जाता है यह पूरी दुनिया में इकलौती पांच मंजिला इमारत है जो कि बिना नींव के बनी हुई है। हवामहल में प्रवेश के लिए सामने से कोई दरवाजा नहीं है हवामहल देखने के लिए आपको सिटी पैलेस  से ही रास्ता दिया हुआ है। हवामहल में सीढ़ियां नहीँ हैं बल्कि रैंप का इस्तेमाल हुआ है। हवामहल की 953 खिड़कियां इसे ठंडा रखती हैं इतने अधिक झरोखे होने के कारण ही इसका नाम हवामहल पड़ा यह महल मूल रूप से शाही परिवार की महिलाओं के लिए बनाया गया था ताकि वह राज्य में निकलने वाले जुलूस को देख सकें तथा रोज की होने वाली शहर की हलचल को निहार सकें। इस महल का निर्माण महाराज सवाई प्रताप सिंह ने संत 1799 में करवाया था। इस महल में राजपूत और मुगल कला का शानदार रूप देखने को मिलता है। हवामहल के संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी है इस महल को बनाने में लाल और गुलाबी सेंड स्टोन का प्रयोग किया गया है। हवामहल की पहली मंजिल पर शरद मंदिर बना हुआ है जबकि दूसरी मंजिल पर रत्न मंदिर है जिसमें शीशे का काम बड़ी खू

सिटी पैलेस, जयपुर, राजस्थान

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सिटी पैलेस, जयपुर सिटी पैलेस, जयपुर सिटी पैलेस पुराने जयपुर शहर के बीचों बीच बसा एक शाही महल है। ये महल राजस्थानी और मुगल शैली की एक मिश्रित रचना है इस महल में काफी बड़ा आँगन और एक खूबसूरत बाग है साथ ही इसमे चंद्रमहल और मुबारक महल के नाम से भव्य भवन हैं जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश के लोगों का तांता लगा रहता है। महल के प्रवेश द्वार पर ही आपको संगमरमर के दो नक्काशीदार बेहद भव्य हाथी द्वारपाल की तरह खड़े मिलते हैं। इस महल में भूरे संगमरमर के पत्थर से निर्मित स्तम्भ हैं जिन पर खूबसूरत नक्काशी की हुई है इन खम्भों पर सोने और रंगीन पत्थरों की मन को मोहित करने वाली फूलों वाली आकृतियाँ बनी हुई हैं। महल में एक संग्राहलय भी है जहाँ आप राजस्थान की पारम्परिक आकर्षक पोशाक देख सकते हैं और इसके अलावा महल में राजपूतों और मुगलों के हथियारों का संग्रह है कई तरह की आकर्षक और खतरनाक छोटी बड़ी तलवारें रखी हैं इन तलवारों की मूठ पर की हुई मीनाकारी देखते ही बनती है। तलवारों की म्यान में जवाहरात बड़ी खूबसूरती से जड़े हुए हैं जो की राजपूती शान की भव्यता को दर्शाता है। महल में एक आर्ट गैलरी भी है जहाँ प

जयपुर पिंक सिटी, राजस्थान

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मैं हूं जिस बस्ती की हूर…. नगर गुलाबी है मशहूर, जरा सा हँस के बहियाँ डाल यहीँ से दिखला दूं जयपुर, जरा सा टेढो हो जा बालमा मेरा जियो भटके… पल्लो लटके रे म्हारो पल्लो लटके…. ये है एक पुरानी हिन्दी फिल्म का मशहूर गाना जिसमें हीरो और हीरोइन गाने में गुलाबी शहर जयपुर की बात कर रहे हैं….तो  आइए इस बार ले चलते हैं आपको राजस्थान की राजधानी  गुलाबी शहर के नाम से मशहूर  ….. पिंक सिटी जयपुर। जयपुर शहर को राजा सवाई जयसिंह ने बसाया था इसलिए इस शहर का नाम उनके नाम से जयपुर पड़ा। जयपुर शहर के महलों और पुराने घरों  का निर्माण धौलपुर के गुलाबी पत्थरों से हुआ था जो कि यहां के स्थापत्य कला की विशेषता है। पहले से इस शहर का नाम गुलाबी नगरी नहीं था महाराजा रामसिंह द्वितीय के शासनकाल सन 1876 में जब वेल्स के राजकुमार जयपुर आए तो महाराज रामसिंह ने उनके स्वागत में पूरे जयपुर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया। तब से जयपुर गुलाबी नगर या पिंक सिटी के नाम से मशहूर हो गया। आधुनिक शहरी योजनाकारों ने जयपुर को सबसे  नियोजित और व्यवस्थित शहर माना है। यह देश का पहला ऐसा शहर था जिसे पूरी तरह योजना बन